हॉकी क्या हैं और क्या हैं इसके नियम।
हॉकी एक ऐसा खेल है जिसमें दो टीमें लकड़ी या कठोर धातु या फाईबर से बनी विशेष लाठी (स्टिक) की सहायता से रबर या कठोर प्लास्टिक की गेंद को अपनी विरोधी टीम के नेट या गोल में डालने की कोशिश करती हैं। हॉकी का प्रारम्भ वर्ष 2010 से 4,000 वर्ष पूर्व मिस्र में हुआ था। इसके बाद बहुत से देशों में इसका आगमन हुआ पर उचित स्थान न मिल सका। भारत में इसका आरम्भ 150 वर्षों से पहले हुआ था। 11 खिलाड़ियों के दो विरोधी दलों के बीच मैदान में खेले जाने वाले इस खेल में प्रत्येक खिलाड़ी मारक बिंदु पर मुड़ी हुई एक छड़ी (स्टिक) का इस्तेमाल एक छोटी व कठोर गेंद को विरोधी दल के गोल में मारने के लिए करता है। बर्फ़ में खेले जाने वाले इसी तरह के एक खेल आईस हॉकी से भिन्नता दर्शाने के लिए इसे मैदानी हॉकी कहते हैं। चारदीवारी में खेली जाने वाली हॉकी, जिसमें एक दल में छह खिलाड़ी होते हैं और छह खिलाड़ी परिवर्तन के लिए रखे जाते हैं।
हॉकी के विस्तार का श्रेय, विशेषकर भारत और सुदूर पूर्व में, ब्रिटेन की सेना को है। अनेक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के आह्वान के फलस्वरूप 1971 में विश्व कप की शुरुआत हुई। हॉकी की अन्य मुख्य अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हैं- ओलम्पिक, एशियन कप, एशियाई खेल, यूरोपियन कप और पैन-अमेरिकी खेल। दुनिया में हॉकी निम्न प्रकार से खेली जाती है।
हॉकी का इतिहास और उत्पत्ति (in short)
हॉकी भारत में वर्षों पहले से खेला जाने वाला प्राचीन खेल है। यह हॉकी की छड़ी (स्टिक) और बॉल के साथ खेला जाता है। यह 1272 ईसा, पूर्व से पहले आयरलैंड में और 600 ईसा. पूर्व के दौरान प्राचीन यूनान में खेला जाता था। हॉकी के बहुत से रुप है; जैसे- मैदानी हॉकी, आइस हॉकी, स्लेज हॉकी, रोलर हॉकी, सड़क हॉकी, आदि। आजकल, मैदानी हॉकी को आमतौर पर, खेला जाता है। आइस हॉकी, मैदानी हॉकी के बिल्कुल विपरीत है, जो कनाडा और उत्तरी अमेरिका के बर्फीले मैदानों में खेली जाती है।
और जाने भारत में हॉकी – Hockey in India
जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल है, और यह काफी महत्वपूर्ण खेल भी है। भारत ने हॉकी के खेल में पूरी दुनिया में अपना कीर्तिमान स्थापित किया है। लगातार कई सालों तक भारतीय टीम ने हॉकी में बेहतर प्रदर्शन कर जीत हासिल की है।
वहीं अगर इसके इतिहास पर नजर डालें तो इसका इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह खेल भारत की जड़ों में गहराई तक समाया हुआ है, हालांकि, इसकी जड़े अब योग्य हॉकी खिलाड़ियों और आवश्यक सुविधाओं की कमी की वजह से कमजोर हो गईं हैं।
समय के साथ हॉकी के खेल में काफी बदलाव किए गए। पहले के समय में इसके नियम और तरीके काफी अलग थे और अब इसे अलग तरीके के साथ मैदानी हॉकी के रुप में खेला जाता है।
जैसे कि हमने आपको अपने इस लेख में ऊपर बताया कि प्राचीन समय में हॉकी अंग्रेजी स्कूलों में खेला जाने वाला खेल था, और भारत में इसे ब्रिटिश सेना आस्तित्व में लाए थे और इसके बाद इसका अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार हुआ था। और धीरे-धीरे इस खेल की लोकप्रियता बढ़ती चली गई।
वहीं अगर भारत में हॉकी की बात करें तो भारत में सबसे पहले हॉकी क्लब का 1885-86 में कलकत्ता में गठन किया गया था और इसके तुरंत बाद बॉम्बे और पंजाब में हॉकी क्लब का गठन किया गया।
वहीं भारतीय खिलाड़ियों ने अपने सफल ओलम्पिक खेल की शुरुआत 1928 के एम्सटर्डम में की थी, जहां उन्होंने हॉकी में स्वर्ण पदक जीता था। यह एक शानदार भारतीय हॉकी खिलाड़ी, जिनका नाम ध्यानचंद की वजह से हुआ। हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले ध्यानचंद ने एम्सटर्डम की भीड़ के सामने सभी भारतीयों अपने हॉकी खेल के कौशल से मंत्रमुग्ध कर दिया था और पूरी दुनिया के सामने नया कीर्तिमान स्थापित किया था।
हॉकी के दिग्गज खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा का बेहतर प्रदर्शन कर भारत में लगातार 1928 से 1956 तक यानि कि स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक और लगातार 24 हॉकी मैच जीते थे।
वहीं हॉकी के स्वर्णिम काल में भारत को जीत दिलवाने का पूरी श्रेय उस युग के प्रतिभाशाली और महान खिलाड़ी ध्यानचंद, बलबीर सिंह, अजीत पाल सिंह, अशोक कुमार, ऊधम सिंह, धनराज पिल्लै, बाबू निमल, मोहम्मद शाहिद, गगन अजीत सिंह, लेस्ली क्लॉडियस समेत भारतीय टीम में शामिल अन्य खिलाड़ियों को जाता है।
आपको बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने अभी तक कुल 8 ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा है। वहीं अभी तक हॉकी खेल में लगातार इतने स्वर्ण पदक किसी भी देश की राष्ट्रीय टीम नहीं हासिल कर पाई है।
इसके अलावा भारत ने ओलंपिक में कुल 11 पदक जीते हैं जिनमें से 8 स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। इसके साथ ही हम आपको ये भी बता दें कि भारत ने ओलंपिक खेलों में साल 1928 से 1956 तक लगातार 6 स्वर्ण पदक जीते थे इसके बाद भारतीय टीम ने दो स्वर्ण पदक साल 1964 और 1980 के ओलंपिक में जीते थे।
वहीं एशियाई खेलों में भी भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन कर अपनी विरोधी टीम को हार की धूल चटाई और तीन स्वर्ण पदक हासिल किए।
मैदान
यह खेल चौकोर मैदान पर 11 खिलाड़ियों वाले दो दलों के बीच खेला जाता है। यह मैदान 91.4 मीटर लंबा और 55 मीटर चौड़ा होता है, इसके केंद्र में एक केंद्रीय रेखा व 22.8 मीटर की दो अन्य रेखाएँ खिंची होती हैं। गोल की चौड़ाई 3.66 मीटर व ऊँचाई 2.13 मीटर होती है।
भारत में ओलम्पिक
हॉकी के खेल में भारत ने हमेशा विजय पाई है। इस स्वर्ण युग के दौरान भारत ने 24 ओलम्पिक मैच खेले और सभी 24 मैचों में जीत कर 178 गोल बनाए तथा केवल 7 गोल छोड़े। भारत के पास 8 ओलम्पिक स्वर्ण पदकों का उत्कृष्ट रिकॉर्ड है। भारतीय हॉकी का स्वर्णिम युग 1928-56 तक था जब भारतीय हॉकी दल ने लगातार 6 ओलम्पिक स्वर्ण पदक प्राप्त किए। 1928 तक हॉकी भारत का राष्ट्रीय खेल बन गई थी और इसी वर्ष एमस्टर्डम ओलम्पिक में भारतीय टीम पहली बार प्रतियोगिता में शामिल हुई। भारतीय टीम ने पांच मुक़ाबलों में एक भी गोल दिए बगैर स्वर्ण पदक जीता। जयपाल सिंह की कप्तानी में टीम ने, जिसमें महान खिलाड़ी ध्यानचंद भी शामिल थे, अंतिम मुक़ाबले में हॉलैंड को आसानी से हराकर स्वर्ण पदक जीता
भारतीय हॉकी संघ के इतिहास की शुरुआत ओलम्पिक में अपनी स्वर्ण गाथा शुरू करने के लिए की गई। इस गाथा की शुरुआत एमस्टर्डम में 1928 में हुई और भारत लगातार लॉस एंजेलस में 1932 के दौरान तथा बर्लिन में 1936 के दौरान जीतता गया और इस प्रकार उसने ओलम्पिक में स्वर्ण पदकों की हैटट्रिक प्राप्त की।
किशनलाला के नेतृत्व में दल ने लंदन में स्वर्ण पदक जीता। भारतीय हॉकी दल ने 1975 में विश्व कप जीतने के अलावा दो अन्य पदक (रजत और कांस्य) भी जीते। भारतीय हॉकी संघ ने 1927 में वैश्विक संबद्धता अर्जित की और अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ (एफआईएच) की सदस्यता प्राप्त की। भारत को 1964 टोकियो ओलम्पिक और 1980 मॉस्को ओलम्पिक में दो अन्य स्वर्ण पदक प्राप्त हुए। 1962 में कांस्य पदक और 1980 में स्वर्ण पदक प्राप्त किया और देश का नाम ऊँचा कर दिया।
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