Computer kya hai , iski definition kya hai aur eska itihas kya hai hindi me | What is Computer and What its definition and its types in Hindi

कंप्यूटर क्या है , इसका इतिहास क्या है और इसकी परिभाषा क्या हैं ?


कम्प्यूटर हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है. स्कूल से लेकर ऑफिस तक में इसका इस्तेमाल रोजाना किया जाता है. और दैनिक कामकाज निपटाने के लिए घरों में भी कम्प्यूटर का उपयोग खूब किया जा रहा है.

इसलिए हम सभी को अच्छी तरह से कम्प्यूटर का परिचय होना चाहिए. तभी हम इस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का उपयोग ठीक ढंग से करने में कामयाब हो सकते है. साथ ही प्रतियोगि परिक्षाओं में भी कम्प्यूटर से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल पूछे जाते है. इस कारण भी कम्प्यूटर की बेसिक जानकारी होना जरुरी हो जाता है.


इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने यह लेख तैयार किया है. जिसमें कम्प्यूटर की पूरी जानकारी दे रहा हूँ. अध्ययन की सुविधा के लिए इस लेख को निम्न भागों में बांटा है.

कंप्यूटर क्या है – What is Computer in Hindi

कंप्यूटर एक मशीन है जो कुछ तय निर्देशों के अनुसार कार्य को संपादित करता है. एक ऐसा इलेक्ट्रोनिक यंत्र है, जिसे बनाया गया है जानकारी के साथ काम करने के लिए. यह शब्द Computer, Latin के शब्द “computare” से लिया गया है. इसका अर्थ है Calculation करना या गणना करना.

इसका मुख्य तोर से तीन काम है. पहला डाटा को लेना जिसे हम Input भी कहते है, दूसरा काम उस डाटा को Processing करने का होता है और आकिर काम उस processed डाटा को दिखाने का होता है जिसे Output भी कहते हैं.
Input Data → Processing → Output Data
मॉडर्न कंप्यूटर का जनक Charles Babbage को कहा जाता है. क्यूंकि उन्होंने ही सबसे पहले Mechanical कंप्यूटर को डिजाईन किया था, जिसे Analytical Engine के नाम से भी जाना जाता है. इसमें Punch Card की मदद से डाटा को insert किया जाता था.

तो कंप्यूटर को हम एक ऐसा advanced इलेक्ट्रॉनिक device कह सकते हैं जो की raw data को input के तोर में User से लेता है, फिर उस data को program (set of Instruction) के द्वारा प्रोसेस करता है और आखिर के परिणाम को Output के रूप में प्रकाशित करता है. ये दोनों numerical और non numerical (arithmetic and Logical) calculation को process करता है.
कंप्यूटर का फुल फॉर्म क्या है?

तकनीकी रूप से कंप्यूटर का कोई फुल फॉर्म नहीं होता है. फिर भी कंप्यूटर का एक काल्पनिक फुल फॉर्म है,

CCommonly(कॉमनली)
OOperated(ऑपरेटेड)
MMachine(मशीन)
PParticularly(पर्टिक्युलर्ली)
UUsed for(यूस्ड फॉर)
TTechnical(टेक्निकल)
EEducation and(एजुकेशन एण्ड)
RResearch(रिसर्च)


कम्प्युटर का इतिहास – History of Computer

चीनियों ने अबेकस का आविष्कार किया उसके बाद विभिन्न प्रकार के Automatic machine अस्तित्व में आई और चार्ल्स बैबेज द्वारा बना automatic engine आज के कम्प्युटर का आधार बना।

कंप्यूटर के इतिहास (history of computer) के विषय में इस प्रकार देख सकते हैं।

Abacus दुनिया का पहला calculator था जिसके द्वारा सामान्य गणना (जोडना, घटाना’, + -) की जा सकती थी। इसका आविष्कार लगभग 2500 वर्ष पूर्व चीनीयों द्वारा किया गया।

1017 में John Napier ने “Rabdology” नाम के अपनी पुस्तक में अपने गणितीय उपकरण का जिक्र किया।

इस डिवाइस द्वारा जोडना, घटाना, गुणा, भाग भी किये जा सकते थे.

John Napier के कुछ वर्षों के बाद 1620 ईस्वी आसपास William Oughtred ने “Slide Rule” का आविष्कार किया। अब कंप्यूटर के द्वारा गुणा, भाग, वर्गमूल, त्रिकोणमीतिय जैसी गणनाएं की जा सकती थी। इस प्रकार यह कार्य लगातार चलता रहा।

Charles Babbage’ को आधुनिक कम्प्युटर का जनक कहते हैं उन्होंने 1822 में बहुपदीयफलन का सारणीकरण करने के लिए एक automatic (calculator) कैलकुलेटर का आविष्कार किया।

यह आकार में बहुत बड़े था और इसे भाप द्वारा चलाई जाती थी।

इसके बाद 1833 में Analytical Engine का डिजाइन किया गया। इस कंप्यूटर में वे सभी चीज मौजूद थे, जो कि अभी के कंप्यूटर में हुआ करता है।

अब धीरे-धीरे कंप्यूटर का विकास बढ़ता गया। नई-नई तकनीकें हमारे सामने आने लगे विज्ञानिक जोर शोर से इस काम को आगे बढ़ाने लगे।

अब विकास के क्रम को कैसे देखा जाए इसके लिए वैज्ञानिक कंप्यूटर के पीढ़ियों Computer Generations के रूप में बांटे।

कंप्यूटर का आविष्कार किसने किया

आधुनिक कंप्यूटर का जनक किसे कहा जाता है? ऐसे तो बहुत से लोगों ने इस Computing Field में अपना योगदान दिया है. लेकिन इन सब में से ज्यादा योगदान Charles Babage का है. क्यूंकि उन्होंने ही सबसे पहले Analytical Engine सन 1837 में निकला था.

उनके इस engine में ALU, Basic Flow control और Integrated Memory की concept लागु की गयी थी. इसी model पे ही Base करके आजकल के कंप्यूटर को design किया गया. इसी कारन उनका योगदान सबसे ज्यादा है. तभी उनको कंप्यूटर के जनक के नाम से भी जाना जाता है.

संगणक के विकास का संक्षिप्त इतिहास

  • 1623 ई.: जर्मन गणितज्ञ विल्हेम शीकार्ड ने प्रथम यांत्रिक कैलकुलेटर का विकास किया। यह कैलकुलेटर जोड़ने, घटाने, गुणा व भाग में सक्षम था।
  • 1642 ई.: फ्रांसीसी गणितज्ञ ब्लेज़ पास्कल ने जोड़ने व घटाने वाली मशीन का आविष्कार किया।
  • 1801 ई.: फ्रांसीसी वैज्ञानिक जोसेफ मेरी जैकार्ड ने लूम (करघे) के लिए नई नियंत्रण प्रणाली का प्रदर्शन किया। उन्होंने लूम की प्रोग्रामिंग की, जिससे पेपर कार्डों में छेदों के पैटर्न के द्वारा मशीन को मनमुताबिक वीविंग ऑपरेशन (weaving operation) का आदेश दिया जाना सम्भव हो गया।
  • 1833-71 ई.: ब्रिटिश गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज ने जैकार्ड पंच-कार्ड प्रणाली का प्रयोग करते हुए 'एनालिटिकल इंजन' का निर्माण किया। इसे वर्तमान कम्प्यूटरों का अग्रदूत माना जा सकता है। बैबेज की सोच अपने काल के काफी आगे की थी और उनके आविष्कार को अधिक महत्व नहीं दिया गया।
  • 1889 ई.: अमेरिकी इंजीनियर हरमन हॉलेरिथ ने 'इलेक्ट्रो मैकेनिकल पंच कार्ड टेबुलेटिंग सिस्टम' को पेटेंट कराया जिससे सांख्यिकी आँकड़े की भारी मात्रा पर कार्य करना सम्भव हो सका। इस मशीन का प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया।
  • 1941 ई.: जर्मन इंजीनियर कोनार्डसे ने प्रथम पूर्णतया क्रियात्मक डिजिटल कम्प्यूटर Z3 का आविष्कार किया जिसे प्रोग्राम द्वारा नियंत्रित किया जा सकता था। Z3 इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर नहीं था। यह विद्युतीय स्विचों पर आधारित था जिन्हें रिले कहा जाता था।
  • 1942 ई.: आइओवा स्टेट कॉलेज के भौतिकविद जॉन विंसेंट अटानासॉफ और उनके सहयोगी क्लिफोर्ड बेरी ने प्रथम पूर्णतया इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर के कार्यात्मक मॉडल का निर्माण किया जिसमें वैक्यूम ट्यूबों का प्रयोग किया गया था। इसमें रिले की अपेक्षा तेजी से काम किया जा सकता था। यह प्रारंभिक कम्प्यूटर प्रोग्रामेबल नहीं था।
  • 1944 ई.: आईबीएम और हार्वर्ड यूनीवॢसटी के प्रोफेसर हॉवर्ड आइकेन ने प्रथम लार्ज स्केल ऑटोमेटिक डिजीटल कम्प्यूटर 'मार्क-1' का निर्माण किया। यह रिले आधारित मशीन 55 फीट लम्बी व 8 फीट ऊँची थी।
  • 1943 ई.: ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन कोडों को तोडऩे के लिए इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर 'कोलोसस' का निर्माण किया।
  • 1946 ई.: अमेरिकी सेना के लिए पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय में भौतिकविद् जॉन माउचली और इंजीनियर जे. प्रेस्पर इकेर्ट ने 'इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटेड एंड कम्प्यूटर - इनिएक' (ENIAC) का निर्माण किया। इस कमरे के आकार वाले 30 टन कम्प्यूटर में लगभग 18,000 वैक्यूम ट्यूब लगे थे। इनिएक की प्रोग्रामिंग अलग-अलग कार्य करने के लिए की जा सकती थी।
  • 1951 ई.: इकेर्ट और माउचली ने प्रथम कॉमर्शियल कम्प्यूटर 'यूनिवेक' (UNIVAC) का निर्माण किया (सं.रा. अमेरिका)।
  • 1969-71 ई.: बेल लेबोरेटरी में 'यूनिक्स ऑपरेटिंग सिस्टम' का विकास किया गया।
  • 1971 ई.: इंटेल ने प्रथम कॉमॢशयल माइक्रोप्रोसेसर '4004' का विकास किया। माइक्रोप्रोसेसर चिप पर सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग यूनिट होती है।
  • 1975 ई.: व्यावसायिक रूप से प्रथम सफल पर्सनल कम्प्यूटर 'MITS Altair 8800' को बाजार में उतारा गया। यह किट फार्म में था जिसमें की-बोर्ड व वीडियो डिस्प्ले नहीं थे।
  • 1976 ई.: पर्सनल कम्प्यूटरों के लिए प्रथम वर्ड प्रोग्रामिंग प्रोग्राम 'इलेक्ट्रिक पेंसिल' का निर्माण।
  • 1977 ई.: एप्पल ने 'एप्पल-II' को बाजार में उतारा, जिससे रंगीन टेक्स्ट और ग्राफिक्स का प्रदर्शन संभव हो गया।
  • 1981 ई.: आई बी एम ने अपना पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में उतारा जिसमें माइक्रोसॉप्ट के DOS (डिस्क ऑपरेटिंग सिस्टम) का प्रयोग किया गया था।
  • 1984 ई.: एप्पल ने प्रथम मैकिंटोश बाजार में उतारा। यह प्रथम कम्प्यूटर था जिसमें GUI (ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस) और माउस की सुविधा उपलब्ध थी।
  • 1990 ई.: माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस का प्रथम वजऱ्न 'विंडोज़ 3.0' बाजार में उतारा।
  • 1991 ई.: हेलसिंकी यूनीवर्सिटी के विद्यार्थी लाइनस टोरवाल्ड्स ने पर्सनल कम्प्यूटर के लिए 'लाइनेक्स' का आविष्कार किया।
  • 1996 ई.: हाथ में पकड़ने योग्य कम्प्यूटर 'पाम पाइलट' को बाजार में उतारा गया।
  • 2001 ई.: एप्पल ने मैकिंटोश के लिए यूनिक्स आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम 'Mac OS X' को बाजार में उतारा।
  • 2002 ई.: कम्प्यूटर इंडस्ट्री रिसर्च फर्म गार्टनेर डेटा क्वेस्ट के अनुसार 1975 से वर्तमान तक मैन्यूफैक्चर्ड कम्प्यूटरों की संख्या 1 अरब पहुँची।
  • 2005 ई.: एप्पल ने घोषणा की कि वह 2006 से अपने मैकिंटोश कम्प्यूटरों में इंटेल माइक्रोप्रोसेसरों का प्रयोग आरंभ कर देगा।

कंप्यूटर के विभिन्न प्रकार 

कंप्यूटर के प्रकार मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित हैं।
  • कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Work)
  • उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)
  • आकार के आधार पर (Based on Size)

कार्यप्रणाली के आधार पर (Based on Work)

  • एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer): एनालॉग कंप्यूटर ऐसे कंप्यूटर सिस्टम होते हैं जो दबाव (Pressure), तापमान (Temperature), वोल्टेज (Voltage), गति (Speed) आदि जैसी मात्राओं को मापते हैं। एनालॉग कंप्यूटर भौतिक मात्राओं (Physical Quantities) को मापने के लिए जाने जाते हैं जो लगातार बदलते रहते हैं। एनालॉग कंप्यूटर के उदाहरणों में वोल्टमीटर (Voltmeter) और अमीटर (Ammeter) शामिल हैं।
  • डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer): डिजिटल कंप्यूटर वैसे कंप्यूटर सिस्टम हैं जो कि एनालॉग कंप्यूटर के विपरीत बाइनरी नंबर सिस्टम (Binary Number System) का उपयोग करते हैं। दूसरे शब्दों में, डिजिटल कंप्यूटर में, सभी डेटा को 0 और 1 के रूप में प्रोसेस किया जाता है। यह कंप्यूटर का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला प्रकार है। आज डिजिटल कंप्यूटर ने एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) की जगह ले ली है। डिजिटल कंप्यूटर के उदाहरण डेस्कटॉप (Desktop), पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer), वर्कस्टेशन (Workstation), टैबलेट (Tablet) आदि हैं।
  • हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer): हाइब्रिड कंप्यूटर, जैसा कि नाम से पता चलता है, एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) के साथ-साथ डिजिटल कंप्यूटर (Digital Computer) का भी काम कर सकता है। हाइब्रिड कंप्यूटर में एनालॉग और डिजिटल कंप्यूटर दोनों की कार्यक्षमता होती है। हाइब्रिड कंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक गणना (Scientific Calculations) के लिए, बड़े उद्योगों (Large Industries) में और रक्षा प्रणालियों (Defense Systems) में किया जाता है।

उद्देश्य के आधार पर (Based on Purpose)

  • सामान्य कंप्यूटर (General Purpose Computer): सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर का उपयोग करके दैनिक जीवन के विभिन्न कार्यों को पूरा किया जा सकता है: उदाहरण के लिए, लेखन और संपादन (Word Processing), इंटरनेट ब्राउज़िंग (Internet Browsing), मनोरंजन (Entertainment) और गेम खेलना (Playing Games) आदि। डेस्कटॉप (Desktop), नोटबुक (Notebook), स्मार्टफोन (Smartphone) और टैबलेट (Tablet) सभी सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर के उदाहरण हैं।
  • विशेष कंप्यूटर (Special Purpose Computer): विशेष उद्देश्य कंप्यूटर एक विशेष समस्या को हल करने के लिए डिज़ाइन किए होते हैं। इसलिए उन्हें विशेष कंप्यूटर के रूप में जाना जाता है क्योंकि इन कंप्यूटरों का उपयोग किसी विशेष कार्य को करने के लिए किया जाता है। इस तरह के कंप्यूटर सिस्टम के उदाहरणों में मौसम विज्ञान (Meteorology), ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम (Traffic Control System), अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science), उपग्रह संचालन सिस्टम (Satellite Operating System), ऑटोमोटिव उद्योगों में (Automotive Industries), वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) आदि शामिल हैं।

आकार के आधार पर (Based on Size)

  • सुपर कंप्यूटर (Super Computer): सुपर कंप्यूटर दुनिया का सबसे तेज कंप्यूटर होता हैं जो सामान्य कंप्यूटर की तुलना में बहुत तेजी से डेटा की प्रोसेसिंग करता हैं। सुपर कंप्यूटर बहुत महंगे (Expensive) होते हैं और विशेष अनुप्रयोगों (Special Applications) के लिए उपयोग किए जाते हैं। उनका उपयोग अत्यधिक महत्वपूर्ण डेटा और गणितीय समस्याओं को हल करने के लिए किया जाता है। कंप्यूटर हर एक सेकंड में दस ट्रिलियन गणना कर सकता हैं। चीन का “Tianhe-2” दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर है।
  • मेनफ्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer): मेनफ्रेम एक प्रकार का कंप्यूटर होता है जिसका उपयोग बड़े संगठनों द्वारा मुख्य रूप से महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है, जिन्हें उच्च डेटा प्रोसेसिंग की आवश्यकता होती है। यह आमतौर पर अपने बड़े आकार (Large size), भंडारण क्षमता (Storage capacity), तेज़ डाटा प्रोसेसिंग (Fast Data Processing) और उच्च विश्वसनीयता (High Reliability) और सुरक्षा (Security) के लिए जाना जाता है। एक मेनफ्रेम कंप्यूटर जिसे “Big Iron” के नाम से जाना जाता है जो मुख्य रूप से सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा उपयोग किया जाता है।
  • माइक्रो कंप्यूटर (Microcomputer): माइक्रो कंप्यूटर एक कंप्यूटर होता है जो अपनी सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (CPU) के रूप में एक माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) का उपयोग करता है। माइक्रो कंप्यूटर एक छोटा, अपेक्षाकृत सस्ता और आकर्षक कंप्यूटर होता है, जिसे व्यक्तिगत उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। माइक्रो कंप्यूटर, मेनफ्रेम (Mainframe) और मिनीकंप्यूटर (Minicomputer) की तुलना में आकार में छोटा होता है। विभिन्न माइक्रो कंप्यूटर व्यापक रूप से उपलब्ध हैं, जैसे: आईबीएम पीसी (IBM PC), एप्पल iMac (Apple iMac) आदि।
  • मिनी कंप्यूटर (Mini Computer): मिनी कंप्यूटर एक प्रकार का कंप्यूटर होता है जिसमें बड़े कंप्यूटर की अधिकांश विशेषताएं और क्षमताएं होती हैं लेकिन आकार में छोटा होता है। मिनी-कंप्यूटर का आकार माइक्रो कंप्यूटर और मेनफ्रेम कंप्यूटर के बीच होता है। मिनीकंप्यूटर को एक मिड-रेंज कंप्यूटर भी कहा जाता है। मिनी कंप्यूटर का उपयोग वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग (Scientific and Engineering), व्यापार-लेनदेन (Business Transactions), फ़ाइल हैंडलिंग (File Handling) और डेटाबेस प्रबंधन (Database Management) के लिए किया जाता है। मिनी कंप्यूटर मल्टी यूजर सिस्टम का उपयोग करता है, जिससे एक से अधिक उपयोगकर्ता एक साथ काम कर सकते हैं। मिनी कंप्यूटर के उदाहरण: HP 9000, RISC 6000, BULL HN-DPX2 और AS 400 आदि हैं।

कंप्यूटर कैसे कार्य करता है ?


Input (Data): Input वो step है जिसमे की Raw Information को Input Device इस्तमाल करके कंप्यूटर में डाला जाता है. ये कोई letter, पिक्चर या कोई विडियो भी हो सकता है.

Process: Process
के दौरान input हुए data को instruction के अनुसार processing की जाती है. ये पूरी तरह से Internal प्रोसेस है.

Output: Output के दौरान जो data पहले से process हो चुकी हैं उसको Result के तोर में show किया जाता है. और यदि हम चाहें तो इस result को save कर के Memory में रख भी सकते हैं Future के इस्तमाल के लिए.
कंप्यूटर की मूल यूनिटों का नामांकित चित्रकंप्यूटर के मुख्य भाग

यदि आपने कभी किस कंप्यूटर case के भीतर देखा होगा तो आपने ये जरुर पाया होगा की अन्दर छोटे छोटे कई components होते है, वो बहुत ही ज्यादा complicated दिखते हैं, पर वो actually में उतने complicated नहीं होते. अब में आप लोगों को इन्ही components बारे में कुछ जानकारी दूंगा.

Motherboard

किसी भी कंप्यूटर का मुख्य circuit board को Motherboard कहा जाता है. ये एक पतली प्लेट की तरह दीखता है पर ये बहुत सी चीज़ों की धारण किया हुए होता है जैसे CPU, Memory, Connectors hard drive और Optical Drive के लिए, expansion card Video और Audio को control करने के लिए, इसके साथ साथ कंप्यूटर के सभी Ports को connection. देखा जाये तो Motherboard कंप्यूटर के सारे पार्ट्स के साथ directly या in directly जुड़ा हुआ होता है.

CPU/Processor

क्या आप जानते है Central Processing Unit यानि CPU क्या है? इसको भी कहा जाता है. ये कंप्यूटर case के अन्दर Motherboard में पाया जाता है. इसे कंप्यूटर का दिमाग भी कहा जाता है. ये किसी Computer के भीतर ही रहे सारे गतिविधियों के ऊपर नज़र रखे हुए होता है. जितनी ज्यादा एक Processor की speed होगी उतनी ही जल्दी ये processing कर पायेगा.

RAM

RAM को हम Random Acess Memory के नाम से भी जानते हैं. ये System का Short Term Memeory होता है. जब भी कभी कंप्यूटर कुछ कैलकुलेशन करता हैं तब ये temporarily उस result को RAM में save कर देता हैं. अगर कंप्यूटर बंद हो जाये तो ये डाटा भी खो जाता है. यदि हम कोई document लिख रहे हों तब उसे नष्ट होने से बचने के लिए हमें बिच बिच में अपने डाटा को save करना चाहिए. Save करने से Data Hard Drive में save हो तो ये लम्बे समय तक रह सकती है.

RAM को megabytes (MB) or gigabytes (GB) में मापा जाता हैं . जितना ज्यादा RAM होगा उतना हमरे लिए अच्छा हैं.

Hard Drive

Hard Drive वो component है जहाँ software, documents और दुसरे file को save किया जाता है. इसमें data लम्बे समय तक store होकर रहता है.

Power Supply Unit

Power supply unit का काम होता है की Main Power Supply से पॉवर लेकर उसे जरुरत के अनुसार दुसरे components में Supply करना.

Expansion Card

सभी Computers के Expansion Slots होते हैं जिससे की हम Future में कोई Expansion Card को add कर सकें. इन्हें PCI (Peripheral Components Interconnect) card भी कहा जाता है. लेकिन आज कल के Motherboard में built in ही कई Slots पहले से होते हैं. कुछ Expansion Card के नाम जो हम पुराने computers को update करने के लिए इस्तमाल कर सकते हैं.
  • Video Card
  • Sound card
  • Network Card
  • Bluetooth Card (Adapter)

Note:

यदि आप कभी computer के भीतरी चीज़ों को खोल रहे हैं तब आपको सबसे पहले मुख्य Socket से Plug का निकलना चाहिए.

कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर

Computer hardware को हम कोई ऐसी Physical Device कह सकते हैं जिसे हम अपने कंप्यूटर में इस्तमाल करते हैं, वहीँ Computer Software का मतलब है codes का collection जिसे हम अपने Machine के Hard Drive में install करते हैं hardware को चलने के लिए.

उदहारण के तोर पे कंप्यूटर मॉनिटर जो हम पड़ने के लिए इस्तमाल करते हैं, Mouse जिसे हम Navigate करने के लिए इस्तमाल करते हैं ये सब Computer Hardware हैं. वहीँ Internet Browser जिससे हम website visit करते हैं, और Operating System जिसमे की वो Internet Browser run होता है. ऐसी चीज़ों को हम Software कहते हैं.

हम ये कह सकते हैं की एक कंप्यूटर Software और Hardware का समिश्रण है, दोनों की सामान भूमिकाएं हैं, दोनों साथ मिलकर ही कोई काम कर सकते हैं.

कंप्यूटर के भाग (Parts of Computer in Hindi)

  • सीपीयू (CPU): CPU (Central Processing Unit) एक कंप्यूटर सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कंप्यूटर सिस्टम में डेटा या इनफार्मेशन को प्रोसेस करता है जो उपयोगकर्ता द्वारा इनपुट के रूप में दिया जाता है और एक निश्चित आउटपुट प्रदान करता है।
  • मॉनिटर (Monitor): मॉनिटर एक विजुअल आउटपुट डिवाइस होता है जिस पर आउटपुट को देखा जाता है। मॉनिटर में आमतौर पर स्क्रीन (Screen), सर्किट (Circuit), केस (Case) और पॉवर सप्लाई (Power Supply) शामिल होता है। पुराने कंप्यूटर के मॉनिटर में कैथोड रे ट्यूब (CRT) का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे वे आकार में बड़े और भारी होते थे। आजकल, फ्लैट स्क्रीन एलसीडी (LCD) और एलईडी (LED) मॉनिटर का उपयोग लैपटॉप (Laptop) और डेस्कटॉप (Desktop) में किया जाता है, जो उन्हें हल्का और अधिक ऊर्जा कुशल (Energy Efficient) बनाता है।
  • कीबोर्ड (Keyboard): कीबोर्ड एक इनपुट डिवाइस (Input Device) है जो उपयोगकर्ता (User) को कंप्यूटर में टेक्स्ट (Text) इनपुट करने में सक्षम बनाता है। कीबोर्ड में कई “कीज़ (keys)” होती हैं जैसे कि अल्फाबेटिकल कीज़ (Alphabetical Keys), न्यूमेरिक कीज़ (Numeric keys), फंक्शनल कीज़ (Functional Keys), स्पेशल कीज़ (Special Keys), एरो कीज़ (Arrow Keys) और मल्टीमीडिया कीज़ (Multimedia Keys) आदि। कंप्यूटर को इनपुट देने के लिए कीबोर्ड (Keyboard) को सबसे अच्छा इनपुट डिवाइस (Input Device) माना जाता है।
  • माउस (Mouse): माउस एक हैंडहेल्ड इनपुट डिवाइस (Handheld Input Device) है जो कंप्यूटर सिस्टम में कोई भी इनपुट बतौर प्वाइंट (Point) करके देता है और आपके कंप्यूटर पर टेक्स्ट (Text), आइकन्स (Icons), फाइल्स (Files) और फोल्डर (Folder) को मूव (Move) और सेलेक्ट (Select) कर सकता है। माउस एक पॉइंटिंग डिवाइस (Pointing Device) है जिसका इस्तेमाल कंप्यूटर सिस्टम में सामान्य निर्देश देने के लिए किया जाता है। माउस के दो प्रकार होते हैं पहला मैकेनिकल माउस (Mechanical Mouse) और दूसरा ऑप्टिकल माउस (Optical Mouse)। आजकल, ऑप्टिकल माउस का उपयोग ज्यादातर कंप्यूटर उपयोगकर्ता करते हैं। इसमें दो बटन होते हैं, बाएँ (Left) और दाएँ (Right) बटन और तीसरा बटन जो एक स्क्रॉल (Scroll) बटन होता है, ऑप्टिकल माउस में पाया जाता है।
  • प्रिंटर (Printer): प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस (Output Device) है जो कंप्यूटर से डेटा लेता है और इसकी हार्ड कॉपी तैयार करता है। सरल शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि प्रिंटर सॉफ्ट कॉपी (Soft Copy) को हार्ड कॉपी (Hard Copy) के रूप में प्रिंट करता है। प्रिंटर सबसे लोकप्रिय आउटपुट डिवाइसों में से एक है और आमतौर पर इसका उपयोग टेक्स्ट (Text) और फोटो (Photo) को प्रिंट (Print) करने के लिए किया जाता है। प्रिटिंग क्वालिटी को डॉट पर इन्च (DPI) में मापा जाता है।

Career Opportunities in The Computer Fields – कम्प्यूटर में करियर

कम्प्यूटर फील्ड बहुत वृह्द है. यहां पर कई प्रकार के स्पेशलाइज्ड क्षेत्र विकसित हो चुके है. जिन्हे उपक्षेत्रों में भी बांट दिया गया है. इसलिए, करियर के लिहाज से कम्प्यूटर क्षेत्र हरा-भरा है.

बस, सही ढ़ंग से कोई खेती करने वाला होना चाहिए.

आपकी सुविधा के लिए कुछ लोकप्रिय (सभी नहीं) कम्प्यूटर जॉब्स के बारे में बता रहा हूँ. जिन्हे आप कम्प्यूटर सब्जेक्ट्स तथा इससे संबंधित विषयों की पढ़ाई करके प्राप्त कर सकते है.

#1 Computer Programmer

आप जिस कम्प्यूटर को चला रहे है उसके कोड जो व्यक्ति लिखता है उसे कम्प्यूटर प्रोग्रामर कहते है. यहीं व्यक्ति कम्प्यूटर में मौजूद सभी प्रकार के फंक्शंस के कोड लिखता है. और हमारे लिए कायों को आसान बनाता है.

एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओं का जानकार होता है और इन सभी भाषाओं में कोडिंग करने की योग्यता रखता है. लेकिन, कुछ प्रोग्रामर्स केवल किसी भाषा विशेष पर ही ज्यादा जोर देते है. और उसी भाषा में कोडिंग करते है.

प्रोग्रामर ही डिजाइनर्स तथा एम्प्लोयर के सपनों को हकिकत में बदलते है. और उन्हे वास्तविकता में बदलने का कार्य करते है. साथ में पहले से तैयार प्रोग्राम्स, सॉफ्टवेयर्स की टेस्टिंग, एरर चैंकिंग भी करते हैं.

#2 Hardware Engineer

आप जानते हैं कि कम्प्यूटर अकेली मशीन है. इसे काम करने के लिए बहुत सारे अन्य पार्ट्स की जरूरत पड़ती है. इन अलग-अलग डिवाइसों को बनाने, टेस्ट करने तथा इनका नई जरुरतों के अनुसार विश्लेषण का काम हार्डवेयर इंजिनियर करता है.

कम्प्यूटर सिस्टम में कौनसा पार्ट कहां लगेगा, उसका डिजाइन कैसा होना चाहिए, यूजर्स की सहुलियत का ख्याल जैसे जरूरी काम भी यहीं पेशेवर व्यक्ति करता है.

सॉफ्टवेयर में बदलाव होने पर हार्डवेयर की अनुकूलता (Hardware Compatibility) जांचकर उसे अपडेट करने का काम भी हार्डवेयर इंजिनियर का होता है. आपके कम्प्यूटर में जो रैम लगी है, मदरबोर्ड लगा हुआ है, केबिनेट का डिजाइन ये सभी कार्य हार्डवेयर इंजिनियर ही संभालता है.

अगर, आपका मन नई चीजों को बनाने और उनके साथ खेलना पसंद है तो आप इस करियर में हाथ आजमा सकते है.

#3 Software Developer

इसकी तुलना आप कम्प्यूटर प्रोग्रामर से भी कर सकते है. लेकिन, इनके बीच एक महिन अंतर होता है. जिसे समझना जरूरी होता है. तभी आप इन दोनों करियर्स के बारे में ठीक ढंग से समझ पाएंगे.

एक कम्प्यूटर प्रोग्रामर मुख्य रूप से कम्प्यूटर हार्डवेयर के ऊपर चलने वाले प्रोग्राम्स को बनाता है. जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम, यूटिलिटी प्रोग्राम्स आदि.

और एक सॉफ्टवेयर डवलरपर आम यूजर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए कम्प्यूटर प्रोग्राम्स विकसित करता है. जैसे; एम एस ऑफिस, टेली, वाट्सएप, ब्राउजर आदि.

#4 Web Developer

आप इस आर्टिकल को एक वेबसाइट पर पढ़ रहे है. जिसे वेब डवलपर नें विकसित किया है. इनका मुख्य काम वेबसाइट्स निर्माण करना होता है.

साथ में एक वेबसाइट को लाइव रहने के लिए आवश्यक जरूरी तकनीकि काम जैसे होस्टिंग, सेक्युरिटी आदि भी संभालने की जिम्मेदारी वेब डवलपर की होती है.

यह वेब डिजाइनरों के साथ मिलकर काम करता है. और छोटे बिजनेसेस में तो एक ही ऑफिस शेयर करते है.

#5 Web Designer

एक वेब डिजाइनर का काम वेबसाइट का डिजाइन, कलर, बटन सेटिंग, थीम डिजाइन, यूजर्स के लिए आसान नेविगेशन आदि डिजाइन करना होता है.

यह सभी डिजाइन्स ग्राफिक टूल्स के माध्यम से तैयार करता है. जिन्हे बाद में फ्रंट एण्ड प्रोग्रामिंग भाषाओं के द्वारा वास्तविक रूप दिया जाता है.

इस डिजाइन को एक वेब डवलपर वेबसाइट में जोड़ देता है. और इस तरह एक वेबसाइट बनती है. बहुत जगहों पर यह काम अकेला व्यक्ति ही देखता है. जिसे Full Stack Developer कहा जाता है.

एक Full Stack Developer के पास वेब डिजाइनिंग तथा वेब डवलपिंग दोनों स्किल्स होती है.

#6 Data Scientist

इन्हे डेटा खोदक भी कहा जाता है. क्योंकि, इनका काम विभिन्न प्रकार का डेटा खोदना होता है और उसे डेटा का विश्लेषण करके अर्थपूर्ण हल निकालना होता है.

डेटा साइंटिस्ट्स मुख्य रूप से बड़े-बड़े बिजनेसेस के साथ काम करते है. क्योंकि, यहीं पर डेटा इकट्ठा होता है. इस डेटा को विभिन्न श्रेणीयों में बांटना, उसका विश्लेषण करके कोई खास पैटर्न ढूँढ़ना, फिर किसी समस्या का हल खोजना जैसे महत्वपूर्ण काम डेटा खोदक करता है.

#7 Network Administrator

ऑफिसों में एक साथ सैंकड़ों कम्प्यूटरों पर काम होता है. जो कंपनी, संस्थान, सरकारी विभाग, युनिवर्सिटी आदि संबंधित नेटवर्क से जुड़े रहते है.

इन नेटवर्क का डिजाइन, इन्हे संभालना, टेक्निकल समस्याओं का निवारण जैसे काम एक नेटवर्क एडमिनिस्ट्रैटर करता है.

#8 Game Developer

आपके पसंदीदा गेम को बनाने वाला ही गेम डवलपर होता है. इसके नाम से ही पता चल जाता है कि इसका काम गेम से संबंधित होता है. अब यह गेम डवलपिंग कम्प्यूटर तथा मोबाइल दोनों के लिए हो सकता है.

यह गेम किसी विशेष समस्या को हल करने से लेकर सामान्य मनोरंजन गेम भी हो सकते है. वेबसाइट्स पर यूजर्स को एंगेज करने के उद्देश्य से भी वेब-आधारित गेम्स भी बनाए जाते है. जो वेब सर्वर्स पर चलते है. यूजर्स को इन्हे अपने डिवाइसों में इंस्टॉल करने की जरुरत भी नही रहती है.

#9 Computer Teacher

आप सिर्फ काम करने के लिए ही कम्प्यूटर नहीं सिखते है. बल्कि दूसरों को सिखाकर भी लिविंग कमा सकते है. यानि टीचिंग में भी आप करियर बना सकते है.

कम्प्यूटर सिखाने के लिए आपको कम्प्यूटर के साथ एजुकेशन डिग्री भी साथ में लेनी पड़ती है. जिसे आप डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से भी प्राप्त कर सकते हैं.

#10 Computer Operator

कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम सिर्फ कम्प्यूटर को ऑपरेट करना होता है. और इसका वास्तविक काम कार्य की जगह और पॉजिशन पर निर्भर करता है.

उदाहरण के लिए एक होटल रिसेप्शन पर कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम रूम बुकिंग, रूम्स की स्थिति, बिल देना आदि काम अपडेट करना होता है. इसी तरह कॉल सेंटर में कॉल मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर को मैनेज करना तथा कस्टमरर्स के साथ बातचीत करना होता है.

आप बेसिक कम्प्यूटर कोर्स के जरिए ही कम्प्यूटर ऑपरेटर का जॉब प्राप्त कर सकते है. इसके लिए किसी अतिरिक्त स्किल्स की ज्यादा मांग नहीं रहती है.

#11 Data Entry Operator

डेटा एंट्री ऑपरेटर का काम कुछ-कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटर से मेल खाता है. इसका काम कम्प्यूटर प्रोगाम में एंट्रीज प्रविष्टि करना होता है. जिसके बदले में उसे तनख्वा मिलती है.

इन्हे पर एंट्री के हिसाब से भी काम मिलता है जिसे ऑनलाइन घर बैठे-बैठे किया जा सकता है. इस काम की प्रकृति पार्ट टाइम होती है. इसलिए, आप पढ़ाई के दौरान खर्चा निकालने के लिए इस काम को ट्राई कर सकते है.

#12 Computer Typist

मैं (यानि जी पी गौतम याद दिलादूं कहीं भूल जाएं) हमेशा कहता हूँ जिस तरह पढ़ाई के साथ लिखना आना जरूरी है ठीक उसी तरह कम्प्यूटर सीखने के साथ टच टाइपिंग आना भी बहुत ही जरुरी स्किल है. इस बात का जिक्र मैंने अपने टच टाइपिंग कोर्स में भी किया है.

लेकिन, इस तरफ ना तो सिखाने वाले ही ध्यान देते है और स्टुडेंट्स को तो इस बात की क्या फिक्र?

लेकिन, क्या आप जानते है कम्प्यूटर ऑपरेटर से ज्यादा एक टच टाइपिस्ट की वैल्यू होती है. आपको हैरानी हो सकती है. पर यहीं सच है.

आप किसी भी कोर्ट में चले जाइए वहां पर आपको एक टाइपिस्ट की वैल्यू का अंदाजा लग जाएगा. जब आपको प्रति शब्द कीमत चुकानी पड़ेगी.

भारतीयो अदालतों में टाइपिस्ट का पद भी होता है. इसलिए, आप इस साधारण सी स्किल जिसे नदरअंदाज कर दिया जाता है, से सरकारी नौकरी भी लग सकते है.

#13 Blogging

इंटरनेट से पैसा कमाने का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला और भरोसेमंद एवं विश्वसनीय तरीका है – ब्लॉगिंग.


आपको खुद का ब्लॉग़ बनाना है और अपनी रुची, योग्यता के अनुसार कंटेट तैयार करके प्रकाशित करना है. अगर, आपका कंटेट दमदार हुआ और पाठकों को पसंद आता है तो आप ट्रैफिक बढ़ाकर इसे फुल टाइम बिजनेस में बदल सकते है.

ब्लॉगिंग के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारी ब्लॉगिंग से संबंधित गाइड को जरूर पढ़े. यहां ब्लॉगिंग से जुड़े हुए सभी सवालों के जवाब दिए गए है.

#14 Vlogging

ब्लॉगिंग से जुड़ा हुआ दूसरा फिल्ड है विलॉगिंग जिसे यूट्युबिंग भी कहा जाता है. यानि आप यूट्यूब पर चैनल बनाकर अपना ज्ञान लोगों को बांटते है.

और इस ज्ञान को मोनेटाइज करके पैसा कमाते है. जिस तरह ब्लॉग़िंग से पैसा कमाया जाता है ठीक इसी प्रकार विलॉगिंग से भी पैसा कमाया जा सकता है.

विलॉगिंग के बारे में ज्यादा जानकारी आप विलॉगिंग गाइड से लें सकते है.

#15 Graphic Designer

यदि आपको पैंटिंग करने का शौक है तो आप इस करियर में हाथ आजाम सकते है. गेम, वेबसाइट, आइकन्स ना जाने कितने क्षेत्रों में ग्राफिक्स की जरूरत पड़ती है.

एक क्रेटिव ग्राफिक डिजाइनर अपने ग्राफिक्स के द्वारा कृत्रिम दुनिया को वास्तविक जैसा बनाने का काम करता है. गेम्स में आपको जो दुनिया दिखाई जाती है वह इन ग्राफिक्स डिजाइनरों द्वारा ही निर्मित की जाती है.

आप 12वीं करने के बाद इस फिल्ड में एडमिशन लेकर तैयार हो सकते है.

इन सभी जॉब्स के लिए आपको बेसिक कम्प्यूटर कोर्स से लेकर एडवांस कम्प्यूटर कोर्सेस जैसे BCA, PGDCA, B.Tech, M.Tech और सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्सेस करने पड़ते है.

कम्प्यूटर कोर्सेस के बारे में ज्यादा जानने के लिए आप नीचे दी गई लिंक पर जाकर विस्तार से जानकारी लें सकते है.

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