DBMS (डी बी एम एस) क्या हैं और इसके कार्य क्या हैं ?
वर्तमान समय में Database तथा Database System हमारे daily life का एक important part है । हम अपने दैनिक जीवन में अक्सर किसी न किसी रुप से Database से interact करते रहते हैं । चाहे हम bank में पैसा जमा करते हो या bank से पैसा निकालते हो, या कुछ online खरीदारी करते हो, या फिर रेल या हवाई यात्रा के लिये ticket का reservation करवाना हो। किसी न किसी हमारा interaction database से होता ही रहता है । तो आइये जानते है कि database क्या होता है?
Database Management System DBMS क्या है?
एक DBMS कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर होता है जो प्राप्त डेटा को उपलब्ध मानकों के आधार पर परिभाषित करता है, संपादित करता है, प्राप्त करता तथा उसका प्रबंधन करता है. आमतौर पर एक DBMS डेटा फॉर्मेट, फील्ड नाम, रिकॉर्ड की संरचना तथा फाइल संरचना आदि काम संभालता है. जैसे; MySQL, Microsoft Access, Oracle आदि.
इस वर्तमान सूचना युग में डेटाबेस का महत्व बढ़ गया है. इसलिए, बैंकों, रेल्वे, विद्यालयों, बिजनेस तथा विभिन्न सरकारी कार्यालयों में डेटाबेस तैयार किए जाते हैं.
डेटाबेस से हम डेटा का विश्लेषण आसानी से कर सकते हैं, जिससे यूज़र तथा प्रोग्रामर दोनों बेहतर तरीके से उपलब्ध डेटा को सुव्यवस्थित कर सकते हैं. जिसका विश्लेषण करके किसी समस्या या भविष्यवाणी पर पहुँचना आसान हो जाता है.
मौसम विज्ञान, अंतरिक्ष विज्ञान, मेडिकल फील्ड में डेटा भविष्यवाणी करने तथा किसी खास पैटर्न को पकड़ने में अहम भूमिका निभाता हैं. यह इन क्षेत्र में ईंधन का काम करता है.
Database Management System को पूरी तरह समझने के लिए हमे इसके अन्य तत्वों (Elements) की परिभाषा को जानना बहुत जरूरी है. जो निम्न है.
- Database – यह एक जैसे डेटा का सुव्यवस्थित संग्रह है. जिसके द्वारा डेटा को सहजता से प्राप्त करना, बनाना, संपादित करना हो पाता है. साथ में इसे टेबल, स्किमा, रिपोर्ट आदि फॉर्मेट में संग्रहित करना संभव हो पाता है.
- Data – किसी भी वस्तु या विचार के बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारी को डेटा कहते है. यह जानकारी अनिश्चित होती है जिसे प्रोसेस करके सूचना में बदला जाता है. इसका कोई खास अर्थ नहीं निकलता है. इसे आम भाषा में कच्ची जानकारी भी कहते हैं.
शारिरिक रूप से डेटाबेस सर्वर डेडिकेटेड कंप्यूटर कहलाते हैं, जो वास्तविक डेटाबेस के आधार पर केवल DBMS सॉफ्टवेयर को रन करते हैं. आमतौर पर डेटाबेस सर्वर मल्टीप्रोसेसर कंप्यूटर होते हैं. जिनमें स्थिर मेमोरी के साथ ही स्टोरेज के लिए Raid Disk arrays का उपयोग किया जाता है. Raid Disk का उपयोग किसी डिस्क के फेल होने पर डेटा रिकवरी के लिए किया जाता है.
Functions of a DBMS in Hindi
DBMS में विभन्न प्रकार के Functions मौजूद होते हैं, जिनकी मदद से डेटाबेस तथा इसमें मौजूद डेटा को मैनेज किया जाता है. ये प्रमुख रूप से चार कार्य होते हैं. जिनका विवरण इस प्रकार है.
- डेटा परिभाषित करना – क्रिएशन, मोडिफिकेशन आदि कार्य जिनसे डेटा को बेहतर तरीके से व्यवस्थित किया जा सकता है.
- डेटा अपडेट करना – DBMS में मौजूद फंक्शन से वास्तविक डेटा को इन्सर्ट, मॉडिफाई तथा डिलीट किया जा सकता है.
- डेटा बैकअप – DBMS एक शक्तिशाली सॉफ्टवेयर होता है जिससे हम स्टोर की गई फ़ाइल को आसानी से बैकअप कर सकते हैं.
- एडमिनिस्ट्रेशन – इस फंक्शन की सहायता से यूज़र को रजिस्टर्, उनकी निगरानी, डेटा सेक्यूरिटी आदि के साथ ही उस डेटा को भी रिकवर करता है, जो कभी अचानक System Failure की स्थिति में गुम हो जाता है.
DBMS का इतिहास – Brief History of Database Management System in Hindi?
डेटाबेस का आकार, क्षमता तथा परफॉरमेंस इसके संबंधित परिमाण के क्रम में बढ़ रहे हैं. डेटाबेस की परफोर्मेंस में वृद्धि का मुख्य कारण कंप्यूटर प्रोसेसर, मेमोरी तथा तकनीक में प्रगति था.
डेटाबेस की तकनीकि विकास के डेटा-मॉडल या संरचना के आधार पर इसे नेविगेशनल, रिलेशनल, पोस्ट-रेलशनल तीन गुणों में बाँटा जा सकता है.
शुरुवाती दौर में नेविगेशनल डेटा मॉडल में दो मुख्य Hierarchical मॉडल और CODASYL (नेटवर्कमॉडल) शामिल थे.
रेलशनल मॉडल को सबसे पहले 1970 में प्रस्तावित किया गया. रेलशनलमॉडल अलग-अलग प्रकार की इकाई के लिए उपयोग किये जाने वाले लेज़र-शैली टेबल सेट को नियोजित करता है.
1990 में बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग एक्सपेरिमेंट में रेलशनल सिस्टम का उपयोग किया जाने लगा. तथा साल 2018 तक IBM, DBM2, Oracle, MySQL तथा Microsoft SQL Server सबसे अधिक खोजे जाने वाले DBMS सर्वर हैं.
ऑब्जेक्ट डेटाबेस का विकास इम्पीडेंस मिसमैच की असुविधा को दूर करने के लिए किया गया था. जिस कारण पोस्ट-रेलशनल के साथ ही ऑब्जेक्ट-रेलशनल-डाटाबेस का विकास भी किया गया.
उसके बाद साल 2000 तक रेलशनल डेटाबेस की नई पीढ़ी (New Generation) को NoSQL डेटाबेस के रूप में पहचाना गया. NoSQL डेटाबेस तेजी से Value-Store के साथ ही Document-Orientation उपलब्ध करवाता है.
DBMS का क्या कार्य है विस्तार से
1. Data Redundancy (डेटा अतिरेक)
फाइल सिस्टम में हर एक एप्लीकेशन की अपनी निजी फाइल्स होती है और ऐसी स्थिति में कई स्थानों पर एक ही डाटा की डुप्लीकेट फाइल्स बन जाती है. DBMS में एक स्थान पर एक ही तरह की फाइल्स को रखा जाता है अर्थात इसे दोहराया नहीं जाता जिससे डाटा की Redundancy कम होती है.
2. Sharing Of Data (डेटा साझा करना)
DBMS में संगठन के अधिकृत यूजर (Authorized User) के द्वारा डाटा शेयर किया जाता है. इसमें डाटा एडमिनिस्ट्रेटर डाटा को नियंत्रित करता है और डाटा को एक्सेस करने के लिए उपयोगकर्ता को अधिकार देता है.
3. Data Consistency (डेटा संगति)
DBMS के द्वारा डेटाबेस में एक ही प्रकार के डाटा को बार-बार जमा होने से रोका जा सकता है.
4. Integration Of Data (डेटा का एकीकरण)
DBMS में सारा डाटा टेबल में होता है और एक डेटाबेस में एक से अधिक टेबल होती है. इन सभी टेबल्स के बीच में संबध बनाए जा सकते है जिससे डाटा को वापिस प्राप्त करना और अपडेट करना आसान हो जाता है.
5. Data Security (डेटा सुरक्षा)
DBMS में डाटा को पूरी तरह से डाटा एडमिनिस्ट्रेटर के द्वारा कण्ट्रोल किया जाता है. इसमें एडमिनिस्ट्रेटर ही यह सुनिश्चित करता है की किस यूजर को डाटा देना है और कितना डाटा देना है. यूजर को डेटाबेस के किस हिस्से पर एक्सेस देना है और किस हिस्से पर नहीं यह सब डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर ही कण्ट्रोल करता है. इससे डेटाबेस की सिक्योरिटी बढ़ जाती है और डाटा ग़लत हाथों में नहीं जाता है.
6. Remove Procedures (प्रक्रियाएं निकालें)
आप सब जानते है की Computer एक तरह की मशीन है और इसमें कभी भी खराबी आ सकती है और कभी भी Hardware या Software फैलियर हो सकता है ऐसे में डाटा नष्ट हो सकता है. DBMS के द्वारा आप ऐसी कंडीशन में डाटा को आसानी से रिकवर कर सकते है.
डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम (DBMS) के कुछ संभावित नुकसान
1. Cost Of Implementation (कार्यान्वित लागत)
डेटाबेस सिस्टम को कार्यान्वित करने में आने वाली लागत ज्यादा हो सकती है और इसमें काफी ज्यादा खर्चा हो सकता है.
2. Effort Of Transfer Data (डाटा ट्रान्सफर में मुश्किलें)
मौजूदा सिस्टम में डेटाबेस को ट्रान्सफर करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और इसमें बहुत ज्यादा समय भी लग सकता है.
3. Risk होता हिया Database Fails (डेटाबेस फैलियर) होने का
अगर डाटा कम समय के लिए भी फ़ैल हो गया तो कम्पनी पर इसका असर पड़ेगा और कम्पनी को कई तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते है.
Database Management System के प्रकार
1. Network Database
इस तरह के डेटाबेस में डाटा को रिकॉर्ड के रूप में दर्शाया जाता है और डाटा के बीच लिंक को दर्शाया जाता है.
2. Relational Database
इसमें डाटा टेबल के रूप में संग्रहित होता है. जहां डाटा Column और Rows में संग्रहित होता है. इसे स्ट्रक्चरल डेटाबेस के रूप में भी जाना जाता है.
3. Hierarchical Database
इसमें डाटा को Parent और Child के रूप में दर्शाया जाता है जो की ट्री स्ट्रक्चर में होते है.
Database Management System की Components क्या हैं?
1. Tables
DBMS में सारा डाटा टेबल्स में रखा जाता है. डाटा संग्रह, फ़िल्टर, संपादन, पुन: प्राप्त करना आदि सभी कार्य टेबल्स पर ही किये जाते है. टेबल्स Rows और Columns से मिलकर बनी होती है जिनके अंदर सारा डाटा स्टोर होता है.
2. Field
टेबल के अंदर प्रत्येक Column को फिल्ड कहते है. इसमें हर डाटा का विशिष्ट भाग संग्रहित होता है जैसे ग्राहक संख्या, ग्राहक का नाम, सड़क का पता, राज्य आदि.
3. Record
टेबल के अंदर पंक्तियों में जो डाटा होता है उसे रिकॉर्ड कहते है. रिकॉर्ड एक तरह की एंट्री है जिसमे व्यक्ति का नाम, फ़ोन नंबर आदि हो सकता है.
4. Queries
किसी टेबल या डेटाबेस में से जरूरत के हिसाब से डाटा निकालने को क्वेरी कहते है. जैसे आप एक ही शहर में रहने वाले दोस्तों की सूचि निकालना चाहते है तो उसे क्वेरी कहेंगे.
5. Forms
आप टेबल में डाटा दर्ज कर सकते है लेकिन उसमे संसोधित करना तथा भण्डारण करना आसान नहीं होता है. इसलिए इस समयसा को दूर करने के लिए फॉर्म्स का प्रयोग किया जाता है. टेबल की तरह ही फॉर्म्स में डाटा दर्ज किया जाता है.
6. Reports
जब आप डेटाबेस के रिकॉर्ड को कागज पर प्रिंट करते है तो उसे रिपोर्ट कहते है.
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम के फायदे (Advantages of Database Management System)
- डेटा रिडंडंसी में कमी (Reduction in Data Redundancy)
- उपयोगकर्ताओं के साथ बेहतर इंटरैक्शन (Better Interaction with Users)
- डेटा की सुरक्षा में सुधार (Improvement in Data Security)
- डेटा इंटिग्रिटी का रखरखाव (Maintenance of Data Integrity)
- बेहतर डेटा शेयरिंग (Better Data Sharing)
- बैकअप और रिकवरी (Backup and Recovery)
डाटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम का नुकसान (Disadvantage of Database Management System)
- हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की लागत (Cost of Hardware and Software)
- मैनेजमेंट की जटिलता (Management Complexity)
- स्टाफ प्रशिक्षण की लागत (Cost of Staff Training)
- तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति (Appointing Technical Staff)
- डेटाबेस की विफलता (Database Failure)
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