File System kya Hota hain aur kaise kam karta hain | What is File System and How its Works in Hindi

फाइल सिस्टम क्या होता हैं और कैसे काम करता हैं ?



फाइल सिस्टम क्या होता है (What is file system)

फाइल सिस्टम यह नियंत्रित करता है कि डाटा किस प्रकार से संग्रहीत और प्राप्त किया जाता है। फ़ाइल सिस्टम के बिना, स्टोरेज डिवाइस में रखी गई सारी जानकारी एक डाटा के ढेर के सामान होगी जहाँ पर यह बताना मुश्किल हो जायेगा की कोई डाटा कहाँ से शुरू हो रहा है और कहाँ पर ख़त्म। डाटा को छोटे छोटे भागों में अलग करके और प्रत्येक भाग को एक नाम देकर, जानकारी को आसानी से अलग और पहचान दिया जाता है। जिस तरह से पेपर-आधारित सूचना प्रणाली में डाटा के समूह को फाइल कहा जाता है। सूचना के समूहों और उनके नामों का प्रबंधन करने के लिए उपयोग किए जाने वाले संरचना और तर्क नियमों को “फाइल सिस्टम” कहा जाता है।

फ़ाइल सिस्टम कई प्रकार के होते हैं। हर एक की संरचना, उसका लॉजिक, डाटा को एक्सेस करने की गति, लचीलापन, सुरक्षा, फाइल का अधिकतम आकार इत्यादी गुण होते हैं। कुछ फ़ाइल सिस्टम विशिष्ट अनुप्रयोगों के लिए उपयोग करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। उदाहरण के लिए, आईएसओ 9660 फाइल सिस्टम विशेष रूप से ऑप्टिकल डिस्क के लिए डिज़ाइन किया गया है।

फ़ाइल सिस्टम का उपयोग विभिन्न प्रकार के स्टोरेज डिवाइस पर किया जा सकता है जो विभिन्न प्रकार के मीडिया का उपयोग करते हैं। 2019 तक, हार्ड डिस्क ड्राइव प्रमुख स्टोरेज डिवाइस में से एक है और यह भविष्य में भी बने रहने का अनुमान है। अन्य प्रकार के मीडिया में भी फाइल सिस्टम का उपयोग किया जाता है जिसमें एसएसडी (SSD), चुंबकीय टेप और ऑप्टिकल डिस्क शामिल हैं।

कुछ फ़ाइल सिस्टम स्थानीय डेटा भंडारण उपकरणों (Storage Device) पर उपयोग किए जाते हैं; अन्य नेटवर्क प्रोटोकॉल के माध्यम से फ़ाइल एक्सेस प्रदान करते हैं (उदाहरण के लिए, NFS, SMB, या 9P क्लाइंट)। कुछ फ़ाइल सिस्टम “आभासी” (वर्चुअल) हैं, जिसका अर्थ है कि जरुरत पड़ने पर इन फाइल्स का निमार्ण होता है (जैसे कि procfs और sysfs)। फ़ाइल सिस्टम उन फ़ाइलों के अन्दर के डाटा और मेटाडेटा दोनों को एक्सेस करने की सुविधा प्रदान करता है।

फाइल सिस्टम का आर्किटेक्चर (File System Architecture)

हर फाइल सिस्टम में दो या तीन परतें (layers) होती हैं। कभी-कभी फाइल सिस्टम में सभी परतें (layers) स्पष्ट रूप से अलग अलग हो जाती हैं, और कभी-कभी सभी लेयर के फ़ंक्शन को संयुक्त करके एक लेयर में कर दिया जाता है।
Logical file system – ये फाइल सिस्टम यूजर एप्लीकेशन से सम्बंधित होता है, जैसे किसी एप्लीकेशन प्रोग्राम के अंतर्गत फाइल को ओपन (OPEN) करके उसके डाटा को रीड (READ) करना और फिर फाइल को क्लोज (CLOSE) करने के लिए एप्लीकेशन प्रोग्राम इंटरफ़ेस (Application Program Interface) प्रदान करवाता है| यह लेयर फाइल एक्सेस, डायरेक्टरी सम्बंधित कार्य और सुरक्षा सम्बंधित ऑपरेशन उपलब्ध करवाता है|
Virtual file system (optional) – यह लेयर हर फाइल सिस्टम में मौजूद हो ऐसा जरुरी नहीं है, इस लेयर का प्रयोग वर्चुअल फाइल को प्रबंधित करने के लिए किया जाता है|
Physical file system – यह लेयर स्टोरेज डिवाइस (जैसे डिस्क) के भौतिक संचालन से संबंधित है। यह पढ़ने या लिखे जाने वाले भौतिक ब्लॉकों को संसाधित करता है। यह बफरिंग और मेमोरी मैनेजमेंट को हैंडल करता है और स्टोरेज माध्यम पर विशिष्ट स्थानों में ब्लॉक के भौतिक स्थान के लिए जिम्मेदार है। भौतिक फ़ाइल सिस्टम डिवाइस ड्राइवर्स के साथ या स्टोरेज डिवाइस को चलाने के लिए चैनल के साथ इंटरैक्ट करता है|

File Systems कैसे काम करते हैं?

एक file system जो की data को store और organize करता है, उसे हम एक ऐसे index का type समझ सकते हैं जो की storage device के सभी data को index करती है. ये devices कुछ भी हो सकते हैं जैसे की hard drives, optical drives और flash drives.

File systems बहुत सी चीज़ों को specify करती है जैसे की files की naming, किसी नाम में maximum number की characters को रखना, कौन सी characters का इस्तमाल किया जा सकता है, और ऐसे बहुत कुछ. क्यूंकि बहुत से file systems में file names case sensitive नहीं होता है.

File के साथ साथ, file systems बहुत से अलग information भी रखती है जैसे की file की size, उसके attributes, location और hierarchy directory में और metadata में भी.

Metadata बड़ी ही आसानी से identify कर सकती है free blocks की available storage उस drive में और कितनी space अभी available है.

एक file system में एक format भी included होता है जो की ये specify करता है file तक का path उसकी directory के structure से. एक file को place किया जाता है एक directory में – या एक folder में Windows OS के – या subdirectory के एक desired place में वो भी एक tree structure में.

PC और mobile operating systems की file systems में files को place किया जाता है एक hierarchical tree structure में.

Storage Medium में files और directories को create करने से पहले, partitions को सही जगहों में पहले रखना चाहिए. एक partition ऐसा region होता है hard disk का या किसी दुसरे storage का जिसे की OS separately manage करता है.

एक file system रखा जाता है primary partition में, और कुछ OSes तो एक ही disk में multiple partitions को allow करती हैं. ऐसे situation में, अगर एक file system corrupt हो जाता है, तब दुसरे partition में स्तिथ data पूरी तरह से safe होती है.

फाइल सिस्टम के प्रकार (Operating Systems के हिसाब से)

वैसे तो File Systems के बहुत से प्रकार मेह्जुद हैं, सभी के अलग अलग logical structures और properties, जैसे की speed और size. ये file system के प्रकार Os के हिसाब से अलग हो सकते हैं या फिर OS के जरूरतों के हिसाब से.

तीन सबसे common PC operating systems हैं Microsoft WindowsMac OS X और Linux. वहीँ Mobile Operating System में Apple iOS और Google Android शामिल हैं.

वहीँ यहाँ आगे हम इन Major file systems के विषय में ही जानेंगे:

1. File allocation table (FAT)

यह File System को support करता है Microsoft Windows OS. FAT को बहुत ही simple और reliable consider किया जाता है, और इसे modeled किया गया है legacy file systems के बाद ही.

FAT को सन 1977 में design किया गया था floppy disks के लिए, लेकिन बाद में इन्हें hard disks के लिए भी adapt कर लिया गया. जहाँ ये बहुत ही efficient और compatible होता है प्राय सभी current OSes के साथ, वहीँ FAT अभी के modern file systems के साथ match नहीं कर सकता है उनके performance और scalability को अगर तुलना किया जाये तब.

2. Global file system (GFS)

यह file system मुख्य रूप से Linux OS में इस्तमाल किया जाता है. यह एक shared disk file system होता है. GFS offer करता है direct access shared block storage को और साथ में इसे एक local file system के हिसाब से भी इस्तमाल किया जा सकता है.

GFS2 एक updated version है Original GFS का, इसमें ऐसे features मेह्जुद हैं जो की आपको original GFS में देखने को नहीं मिल सकते हैं, जैसे की एक updated metadata system. GNU General Public License के तहत, दोनों GFS और GFS2 file systems available होते हैं एक free software के हिसाब से.

3. Hierarchical file system (HFS)

इन HFS को developed किया गया था Mac operating systems में इस्तमाल करने के लिए. HFS को refer किया जाता है एक Mac OS Standard के तोर पर, वहीँ इनके बाद Mac OS Extended ने उनका स्थान लिया.

इसे Originally introduce किया गया था सन 1985 में वो भी floppy और hard disks के लिए, HFS ने पूरी तरह से original Macintosh file system को replace कर दिया. वहीँ इसे CD-ROMs में भी इस्तमाल किया जा सकता है.


Windows File system के Types

वैसे तो Windows file system के अनेक प्रकार होते हैं. लेकिन हमें कुछ विशेष प्रकार के बारे में ही जानना है तो चलिए उसके विषय में जानते हैं।

Fat File System

इस का फुल फॉर्म होता है File Allocation Table. सन 1977 में Microsoft के द्वारा इस  File System को create किया गया था।

Disk में file को locate करने के लिए File system का इस्तेमाल Operating System में किया जाता था।
FAT को DOS system मैं स्टोर किया जाता है इस फाइल सिस्टम का इस्तेमाल PC के आने के बाद से ज्यादा होने लगा। आज भी preferred file system के तौर पर ही FAT को इस्तेमाल किया जाता है. जैसे कि flash drive और दूसरे Solid State Memory Devices जैसे कि SD Card में।

Fat file system के features

Fat file system के Important Features कुछ इस प्रकार है|

MS dos के द्वारा सबसे पहले इसे इस्तेमाल में लाया गया था और यह केवल 8 character वाले फाइल नेम को प्रदान करता था.
Windows 2000 इसका इस्तेमाल लोंग file name में किया जाने लगा।
कोई भी character file name इस्तेमाल किया जा सकता है।

Fat32 file system

यह Fat का Advance Version है । यह वैसे drives को इस्तेमाल करता है. जिसका memory 512Mb से 2TB तक की size की हो। Fat और Fat32 का एक सबसे बड़ा खासियत बात यह है. कि यह Windows 2000 को बड़े ही आसानी से operate कर पाती है।

NTFS file system

इस का फुल फॉर्म है new technology file system. Windows 2000 professional fully support करता है NTFS को.
इसके कुछ characteristics के बारे में जानते हैं.

Features of NTFS file system

  • इसमें आप 255 character यूज कर सकते हैं
  • इसकी file names case sensitive नहीं होती है.
  • NTFS hi security फोन करती है।
  • फाइल और फोल्डर में File और Folder ज्यादातर Safe होती है. FAT की तुलना में.

FAT और NTFS FILE SYSTEM मैं क्या अंतर है?

Fat file system

Fat file system में कोई भी security प्रदान नहीं की जाती है। इसमें folder level security permission exist  नहीं करता है। 8 character long filename को यह support करता है। कम से कम 500mb साइज के disk partition के लिए suitable होता है। इसमें file size or partition केवल 4GB तक हो सकता है. यह file compression को support नहीं करता है।

NTFS file system

यह local or remote users दोनों के लिए security प्रदान करता है। कम से कम 500 एमबी और उससे भी ज्यादा साइज के disk partition के लिए suitable होता है। 255 character long file को support करता है।mयह file compression support करता है। Partition size  इस मैं up to 16 Exabyte तक होती है।


File Systems इतने सारे क्यूँ होते हैं?

सभी file systems समान नहीं होते हैं. Different file systems की different ways होती हैं data को organize करने की. कुछ file systems दूसरों से faster होते हैं, कुछ में additional security features होती हैं, और कुछ support करती हैं drives जिनमें बड़े storage capacities होते हैं वहीँ कुछ केवल उन्ही drives में काम करते हैं जिनकी storage capacity कम हो.

कुछ file systems ज्यादा robust और resistant होते हैं file corruption में, वहीँ दुसरे इस robustness के स्थान पर additional speed रखना ज्यादा पसंद करते हैं.

ऐसी कोई best file system मेह्जुद नहीं है जो की सभी कार्यों में best हो. प्रत्येक operating system अपनी ही file system का उपयोग करती है, जो की उस operating system developers के द्वारा बनाया गया होता है.

Microsoft, Apple, और Linux kernel developers भी काम करते हैं उनके अपने ही file systems में. नयी file systems पहले की मुकाबले ज्यादा faster, more stable, scale better करते हैं larger storage devices में, और साथ में इनमें ज्यादा features भी होती हैं पुराने के मुकाबले.

एक File System को design करते वक़्त उसमें बहुत से अलग काम भी करने होते हैं, जिन्हें की बहुत से तरीकों से किया जा सकता है. एक file system नहीं होता है एक partition के जैसे, जो की simply एक chunk होता है storage space का.

एक file system ये specify करता है की कैसे files की layout हो, उन्हें कैसे organized किया जाये, कैसे indexed किया जाये, और कैसे metadata उसके साथ associate हों. क्यूंकि चाहे आप कितना भी अच्छा File System बना लें, हमेशा improvement के लिए थोड़ी बहुत जगह अवस्य होती है.


File systems और Metadata का उसमें role

File systems इस्तमाल करते हैं metadata का files को store और retrieve करने के लिए. Metadata Tags के उदाहरण हैं.

  • Date created
  • Date modified
  • Last date of access
  • Last backup
  • User ID of the file creator
  • Access permissions
  • File size

Metadata को store किया जाता है separately files के contents से, जिसमें बहुत से file systems अपने file names को store करते हैं separate directory entries में. कुछ metadata को directory में रखा जाता है, वहीँ दुसरे metadata को एक structure में रखा जाता है जिसे की inode कहते हैं.

Unix-like operating systems में, एक inode ऐसे metadata को भी store करता है जो की unrelated होते हैं File के content से. यह inode index करता है information को number के हिसाब से, जिसका इस्तमाल file के location को access करने के लिए इस्तमाल किया जाता है और फिर File को भी.

एक उदाहरण ऐसे file system का जो की capitalize करता है metadata में है OS X, यह OS को इस्तमाल किया जाता है Apple के द्वारा. ये allow करता है बहुत से optimization features को, जिसमें file names भी शामिल है जिन्हें की stretch किया जा सकता है 255 characters तक.

File System Access

File systems restrict करता है read और write access को एक particular group के users को. Passwords एक बहुत ही आसान तरीका होता है इसे करने के लिए. इस बात को control कर की कौन flies को modify या read कर सकता है, restricting access ये ensure करता है की data modification controlled है और limited भी.

File permissions जैसे की access या capability control lists का इस्तमाल file system access को moderate करने के लिए किया जा सकता है. इस प्रकार की mechanisms बहुत ही useful होते हैं access को दूर करने के लिए regular users से, लेकिन ये ज्यादा effective नहीं होते हैं बाहरी intruders से रोकने के लिए.

Encrypting files से भी user access को दूर किया जा सकता है, लेकिन ये ज्यादा focused होता है systems को protect करने में outside attacks से. एक encryption key को apply किया जा सकता है इन unencrypted text को उन्हें encrypt करने के लिए, या इन key का इस्तमाल encrypted text को decrypt करने के लिए भी किया जा सकता है.

File को केवल वही users access कर सकते हैं जिनके पास key मेह्जुद हो. Encryption से, file system को ये जानने की जरुरत ही नहीं है encryption key के विषय में, उन्हें बस data को effectively manage करना होता है.

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